इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म में समानता – Yahudi Aur Islam Me Sambandh In Hindi

दोस्तो यह सवाल तो आप लोगों के दिमाग में भी कभी न कभी ज़रूर उठता होगा कि आखिर यहूदी, ईसाई और मुसलमानों में ऐतिहासिक तौर पर आपस में क्या रिश्ता है? 

क्योंकि वक्त-वक्त पर आप लोग इन तीनों ही धर्मों में ऐसी बहुत सारी चीज़ों को देखते होंगे कि जो तीनों के तीनों ही धर्मों में समान हैं और यही वो चीज़ है कि जो एक आम इंसान को यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हमारी दुनिया के वो तीन मशहूर धर्म, जिनके लोग न तो अपने नाम को एक दूसरे से मिलाना पसंद करते हैं, और न ही एक दूसरे से ज़्यादा घुलना-मिलना पसंद करते हैं और यहाँ तक कि कभी-कभी तो एक दूसरे के कट्टर दुश्मन भी बन जाते हैं, लेकिन इन सब के बावजूद भी ये सारे लोग, कैसे अपने धर्म में बहुत सारी एक जैसी चीज़ों को ही फॉलो करते हैं। 

तो चलिए आज के इस पोस्ट में हम आप लोगों के इन्हीं सारे सवालों के जवाब देते हैं और आपको बताते हैं कि यहूदी, ईसाई और मुसलमानों का आपस में ऐतिहासिक तौर पर क्या रिश्ता है? साथ ही साथ यह भी बताएंगे कि आखिर वह कौन सी मशहूर चीज़ें हैं कि जो इन तीनों ही धर्मों में बिलकुल एक सामान पाई जाती हैं यानी तीनों ही धर्मों के लोग उन चीज़ों को मानते और फॉलो करते हैं। (Yahudi Aur Islam Me Sambandh In Hindi)

सबसे पहले तो आपको यह बताते चलें कि हमारी दुनिया में जितने भी धर्म है उन सभी को दो हिस्सों में यानी दो भाग में बांटा गया है। पहले ग्रूप को इब्राहिमी धर्म तो दूसरे ग्रूप को इंडियन धर्म के नाम से जाना जाता है। 

इब्राहिमी धर्म के ग्रुप में यहूदी और मुसलमानों के साथ-साथ ईसाई धर्म भी शामिल हैं।  वहीं दूसरी तरफ इंडियन धर्म वाले ग्रुप में, हिन्दू, बौद्ध, और सिख जैसे बहुत सारे धर्म शामिल हैं और ये सारे के सारे वो धर्म हैं जिनकी जड़ें ऐतिहासिक तौर पर किसी न किसी तरह से भारत देश से जुड़ी हुई हैं  यानी इनकी स्थापना और इनकी शुरुआत भारत देश से ही की गई थी।  यही वजह है कि इन सारे ही धर्मों को भारतीय यानी इंडियन धर्म के नाम से जाना जाता है। 

लेकिन फिर सवाल यह उठता है कि आखिर यहूदी, ईसाई और इस्लाम जैसे धर्मों को इब्राहिमी धर्म के नाम से क्यों जाना जाता है ? और इब्राहीम शब्द से इन धर्मों का क्या रिश्ता है ? 

तो आपको बताते चलें कि इब्राहीम धर्म वाले ग्रुप में जितने भी धर्म शामिल हैं ये सभी वो धर्म है कि जिनकी जड़ें ऐतिहासिक तौर पर किसी न किसी तरह से पैग़ंबर, हजरत, इब्राहिम से जाकर मिल जाती हैं। हजरत इब्राहिम को सारे इब्राहीमी धर्मों में बहुत ज़्यादा इज़्ज़त और अहमियत दी जाती है। 

इब्राहिमी धर्मों को आसमानी धर्मों के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह सभी धर्म आसमानी किताबों को फॉलो करते हैं। 

अब बात करते हैं कि आखिर वो कौन सी मशहूर चीज़ें हैं कि जो इब्राहिमी धर्मों यानी यहूदी, ईसाई और मुसलमानों में एक सामान पाई जाती हैं।

  • अल्लाह पर ईमान 🕋

तो इन चीज़ों में सब से पहली चीज़ अल्लाह पर ईमान है मतलब कि इन तीनों धर्मों में कहीं न कहीं माना गया है कि सारी दुनिया को पैदा करने वाला ‘एक’ है और उसकी इबादत ज़रूरी है।  

  • नबियों को मानना 🕌

इन सारे धर्मों में दूसरी सामान चीज़, पैग़ंबर यानी नबियों को मानना है क्योंकि जिस तरह से मुसलमानों का यह अक़ीदा होता है कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त वक्त-वक्त पर दुनिया में रहने वाले लोगों को सही रास्ता दिखाने के लिए अपने नबियों को भेजता है जिसकी आखरी कड़ी हज़रत मुहम्मद हैं। 

बिल्कुल इसी तरह का नज़रिया यहूदी और ईसाई लोग भी रखते हैं और वो भी बहुत सारे नबियों यानी पैग़म्बरों को मानते हैं, मगर बस अंतर ये है कि जितने नबियों को मुसलमान मानते हैं, उतने नबियों को यहूदी और ईसाई लोग नहीं मानते हैं, बल्कि वो कुछ को मानते हैं और कुछ को नहीं मानते हैं. जबकि मुसलमान सारे के सारे नबियों को तो मानते ही हैं। 

हज़रत मूसा और हज़रात ईसा जिनको ईसाई और यहूदी धर्म का फाउंडर यानि संस्थापक भी माना जाता है, उनको मुसलमान लोग एक अलग महत्त्व देते हैं और इन दोनों को नबियों की उन टॉप 5 लिस्ट में शामिल करते हैं जिनको इस्लाम में सबसे बड़ा दर्जा और मक़ाम दिया गया है। 

इन सबके अलावा, मुसलमान लोग नबियों को अल्लाह का बंदा मानते हैं, ना कि उन्हें अल्लाह का बेटा वगेरा मानते हैं जैसा कि ईसाई या यहूदी धर्म में माना जाता है।  

  • रोज़ा रखना 🍔

तीनों ही धर्मों में सामान पाई जाने वाली चीज़ों में से एक दूसरी चीज़ है, रोज़ा रखना। जिस तरह मुसलमान रोज़ा रखते हैं, ठीक उसी तरह यहूदियों और ईसाइयों में भी रोज़ा रखा जाता है, मगर रोज़ा रखने का वक्त और रोज़ा रखने का तरीका अलग-अलग होता है। 

  • सूअर को खाना 🐽

सूअर यानी ख़िन्ज़ीर को खाने से भी इन तीनों ही धर्मों में मना किया गया है और यही वजह है कि मुसलमानों की तरह यहूदी और ईसाई लोग भी सूअर का मांस नहीं खाते हैं, क्योंकि अल्लाह ने हज़रत मूसा को सूअर का गोश्त खाने से मना किया था और यही चीज़ ईसाइयों की किताब बाइबल में भी मौजूद है। 

  • अल्लाह की क़ुदरत 🕋

साथ ही ये कि हज़रत ईसा का जन्म बिना किसी बाप के यानी अल्लाह की क़ुदरत से हुई थी, ये बात भी ईसाई और मुसलमान दोनों में मानी जाती है लेकिन यहूदी ऐसा नहीं मानते हैं। 

  • हज़रत मरियम की अहमियत ☪️

हज़रत मरियम, जो कि हज़रत ईसा की माँ हैं, उनको ईसाई धर्म के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे ज़्यादा इज़्ज़त वाली औरत माना जाता है। वहीं  मुसलामनों में भी हज़रत मरियम को काफी इज़्ज़त और अहमियत दी जाती है लेकिन उन्हें सबसे ऊँचा दर्जा नहीं दिया जाता है। 

  • वज़ू बनाना 🛁

इबादत करने से पहले जिस तरह से मुसलमान वज़ू बनाकर अपने आप को साफ सुथरा करते हैं, बिल्कुल उसी तरह से यहूदी और ईसाई भी इबादत करने से पहले अपने अंदाज़ में अपने आप को साफ सुथरा करते हैं। 

इबादत करने वाली जगह पर जाने से पहले अपने जूते चप्पलों को उतारना भी इन तीनों ही धर्मों में ज़रूरी समझा जाता है। 

  • सलाम करनने का रिवाज 🤝

इसके अलावा जिस तरह से मुसलमान हर मिलने वाले को सलाम करते हैं यानी सलाम के जरिए से उसकी सलामती की दुआ करते हैं,बिल्कुल उसी तरह से यहूदियों और ईसाइयों में भी एक लंबे वक्त से सलामती भेजने का रिवाज चला आ रहा है, लेकिन ज़ाहिर है उन लोगों का सलाम भेजने और करने का यह तरीक़ा मुसलमानों से बिल्कुल अलग है। 

  • खतना करना 🤨

दोस्तो, इन तीनों धर्मों में एक सामान पाई जाने वाली चीज़ों में से एक और चीज़ है: खतना, जी हाँ, खतना करवाने को हज़रत इब्राहिम की सुन्नत कहा गया है और जैसा कि आपको पता ही है कि हज़रत इब्राहिम को तीनों ही धर्मों में काफी ज़्यादा इज़्ज़त और अहमियत दी जाती है और यही वजह है कि मुसलमानों के साथ-साथ यहूदी लोग भी खतना करवाना ज़रूरी मानते हैं लेकिन ईसाई धर्म के कुछ वर्ग ज़रूर खतना को नहीं मानते हैं। 

ब्याज यानी इंटरेस्ट का पैसा लेना भी इन तीनों ही धर्मों में मना है और इसी तरह की और भी कई चीज़ें हैं जो कि इन तीनों ही धर्मों में ग़लत मानी जाती हैं।

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