जुमा के दिन की फजीलत – Juma Ke Din Ki Fazilat

जुमा के दिन की फ़ज़ीलत के बारे में न जाने कितनी बातें लिखी गयी हैं और हम लोग कितने खुशनसीब हैं कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हम सबको अपने प्यारे आक़ा हुज़ूर-ए-अक़दस ﷺ के सदक़े में जुमा के दिन जैसी नेमत से नवाज़ा है लेकिन अफ़सोस ! कि हम लोग जुमा के दिन को भी किसी आम दिन की तरह बस यूँही गुज़ार देते हैं जबकि जुमा का दिन पूरे हफ्ते की ईद का दिन है , जुमा का दिन सारे दिनों क सरदार है। आज हम लोग जुमा के दिन की कुछ फ़ज़ीलतों के बारे में बात करेंगे। 

जुमा के फ़ज़ाएल Juma Ke Fazail:

जुमा के दिन जहन्नम की आग नहीं सुलगाई जाती , जुमा के दिन जहन्नम के दरवाज़े नहीं खोले जाते। जुमा के दिन को क़यामत के दिन एक दुल्हन की तरह सजा कर उठाया जायेगा। जुमा के दिन मरने वाले ख़ुशनसीब इंसान को शहीद का दर्जा मिलता है और वो क़ब्र के अज़ाब से महफूज़ हो जाता है। अगर कोई इंसान जुमा के दिन की नमाज़ पढ़ता है, तो उसके उस जुमा से लेकर आने वाले जुमा तक के सारे (छोटे) गुनाह मिटा दिए जाते हैं। 

हज़रत मुफ्ती अहमद यार खान ने फ़रमाया कि अगर कोई इंसान जुमा के दिन हज करता है तो उसको 70 हज का सवाब मिलता है और जुमा के दिन किये गए एक नेकी के बदले इंसान को 70 नेकियों का सवाब मिलता है।  

जुमा के दिन दुआ क़ुबूल होने वाला समय:

जुमा के दिन एक ऐसी घड़ी (समय) आती है कि उसमें इंसान नमाज़ पढ़ते हुए अल्लाह से जो भी दुआ करता है वो क़ुबूल होती है।  वो समय जुमा के दिन असर की नमाज़ से लेकर सूरज के डूबने तक किसी भी वक़्त आता है। मगर इस वक़्त में नमाज़ न पढ़के मग़रिब की नमाज़ का इंतज़ार करते हुए इंसान को दुआ करना चाहिए। 

और एक जगह ऐसा कहा गया है कि जब ख़तीब जुमा के ख़ुत्बे के लिए मेंबर पर बैठ जाये तब से लेकर जुमा की नमाज़ में सलाम फेरने तक वो समय कभी भी आता है। मगर उस वक़्त इंसान को ज़ुबान से नहीं बल्कि अपने दिल ही दिल में दुआ करनी चाहिए। 

जुमा के दिन की फजीलत- Juma Ke Din Ki Fazilat In Hindi:

जुमा के दिन ग़ुस्ल करना (नहाना) सुन्नत है और हदीस में इसकी बहोत सारी फ़ज़ीलत लिखी गयी है।  हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर फरमाते हैं कि रसूल-ए-अकरम ने फ़रमाया, कि तुम में से जो इंसान जुमा के लिए आये तो उसे चाहिए कि वो ग़ुस्ल करले। 

और एक दूसरी हदीस में है की हज़रत अबू हुरैरा ने फ़रमाया कि, रसूलल्लाह ﷺ  ने इरशाद फ़रमाया कि जो इंसान जुमा के दिन जिनाबत के ग़ुस्ल की तरह ग़ुस्ल करे यानी सारे सुनन व आदाब के साथ अच्छी तरह से नहाये और फिर जुमा की नमाज़ पढ़ने जाये तो उसने माना कि एक ऊँट सदक़ा किया। 

और जो इंसान दूसरी घडी में जाये तो माना कि उसने एक गाय सदक़ा किया और जो तीसरी घडी में गया तो माना कि उसने एक मेंढा सदक़ा किया और जो चौथी घडी में गया तो माना कि उसने एक मुर्ग़ी सदक़ा किया और जो पांचवीं साअत में गया तो माना कि उसने एक अंडा सदक़ा किया। 

जुमा के दिन ये काम ज़रूर करना चाहिए: 

जुमा के दिन के अच्छे कामों में ग़ुस्ल करना, सुरमा लगाना, मिसवाक करना, और खुशबू मलना ख़ास तौर से शामिल है।  

जुमा के अज़कार – Juma Ke Azkar:

जुमा के अज़कार में ज़्यादा से ज़्यादा दुरूद पढ़ना बड़ी फ़ज़ीलत रखता है।  हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि जुमा का दिन यौम-ए-मशहूद यानि फरिश्तों के हाज़िर होने का दिन है, इस दिन मुझ पर ज़्यादा से ज़्यादा दुरूद पढ़ा करो। 

जुमा के दिन दुरुद पढ़ने की फ़ज़ीलत – Juma Ke Din Darood Padhne Ki Fazeelat:

नबीये अकरम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया की जिस किसी इंसान ने जुमा के दिन मुझ पर 200 बार दुरूद शरीफ पढ़ा तो उसके दो सौ साल के गुनाह माफ़ कर दिए जाएंगे 

(जम उल जवामेअ लिश्शुयूती , जिल्द नंबर – 7 , पेज नंबर 199  हदीस नंबर – 22353)

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