इस्लाम में औरत का मक़ाम Islam Me Aurat Ka Maqam in Hindi

Islam Me Aurat Ka Maqam in Hindi – दोस्तों आज के दौर में न जाने कितने सारे ग़ैर क़ौम के लोगों के मन में ये सवाल आता है कि इस्लाम में औरत के क्या हुक़ूक़ हैं और इस्लाम में औरत की की अहमियत क्या है। इसी वजह से आये दिन गूगल पे लोग कुछ ऐसे सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते रहते हैं जैसे-

  • Aurat Ki Izzat in Islam Hindi, 🚺
  • Aurat Ke Huqooq in Islam in Hindi, 🕋
  • Biwi Ke Huqooq in Islam in Hindi, ❤️

तो आज हम लोग औरत और इस्लाम से जुड़े हुए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे। – Aurat Aur Islam in Hindi

तो आइये सबसे पहले जानते हैं कि इस्लाम के आने से पहले और इस्लाम के आने के बाद औरतों की ज़िन्दगी में किस तरह से बदलाव आया । 

इस्लाम के आने से पहले जब दुनिया के लोग पूरी तरह से अनपढ़, गंवार, और जाहिल हुआ करते थे, उस वक़्त औरतों के ऊपर न जाने कितने प्रकार के ज़ुल्म और अत्याचार होते।  उनके ऊपर होने वाले ज़ुल्म काफी ज़्यादा बढ़ चुके थे और उन्हें बहोत सारी हैवानियत का शिकार होना पङता था। 

औरत इस्लाम से पहले : Islam Se Pehle Aurat Ka Maqam

इस्लाम से पहले औरत का मक़ाम क्या था उसके बारे में आपने बहोत बार सुना ही होगा। इस्लाम के आने से पहले औरतों का हाल बहोत ही ज़्यादा ख़राब था। दुनिया में औरतों को कोई इज़्ज़त और अहमियत नहीं दी जाती थी। 

मर्दों की नज़र में औरत की हैसियत सिर्फ उसकी जिस्मानी इच्छाएं पूरी करने वाले एक खिलौने के सामान हुआ करती थी।  औरतें दिन-रात बड़ी शिद्दत से मर्दों की हर इच्छाओं को पूरा करती थीं और बदले में उन्हें सिर्फ अत्याचार, ज़ुल्म, और हैवानियत ही नसीब हुआ करती थी। 

औरतें थोड़ी बहोत मेहनत मजदूरी करके दो पैसे भी इकठ्ठे करती थी लेकि उसे भी ज़ालिम मर्द उनसे छीन लिया करता था और कभी उनकी इज़्ज़त और क़द्र नहीं करता था। मर्द, औरतों के साथ बिलकुल जानवरों जैसा बर्ताव करते हुए उन्हें बड़ी बेरहमी के साथ छोटी-छोटी बातों पर मारा-पीटा करता था। 

कई बार तो मर्द सिर्फ मारने पीटने तक ही नहीं रुकते थे बल्कि औरतों के शरीर के अंग जैसे नाक, कान वग़ैरह भी काट देते थे और कई बार तो उनका क़त्ल भी कर दिया करते थे और ये सब बातें उस ज़माने में बिलकुल आम थी। 

औरतों को उनके माँ-बाप, भाई-बहन या शौहर की मीरास में से कोई हिस्सा नहीं मिलता था और न ही औरतें किसी भी चीज़ की मालिक हुआ करती थी। 

अरब के कुछ इलाक़ों में तो एक ऐसा रिवाज था कि जो औरत बेवा हो जाती थी यानि जिसके पति की मौत हो जाया करती थी, उस औरत को उसके घर से बाहर निकालकर एक छोटी सी अँधेरी झोंपड़ी में एक साल तक क़ैद करके रखा जाता था जहाँ से वो कभी बाहर नहीं निकल सकती थी और उसे अपनी सब ज़रूरतें उसी झोपडी में पूरी करनी पड़ती थी। 

ज़्यादातर औरतें तो कुछ वक़्त में ही घुट-घुट कर मर जाया करती थी और जो कुछ बच जाती थीं उन्हें एक साल बाद बाहर निकालकर उनके दामन में ऊंट की गंदगी डाल कर उन्हें किसी जानवर के बदन से अपने बदन को रगड़ने को कहा जाता था और फिर उसी बुरी हालत और गंदे कपड़ों में उनसे पूरे शहर का चक्कर लगवाया जाता था। 

ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि पूरे शहर को पता चल सके कि उस औरत ने एक साल की इद्दत पूरी कर ली है। इसी तरह न जाने और भी कितने सारे गंदे और घटिया रीति रिवाज हुआ करते थे जिसकी वजह से औरतों की ज़िन्दगी उन दिनों किसी जहन्नम से काम नहीं हुआ करती थी। 

ये बेचारी औरतें घुट-घुट कर अपनी ज़िंदगी ऐसे ही गुज़ारा करती थीं।  उनके हालात और उनकी फ़रियाद को पूरी दुनिया में कोई भी सुनने वाला नहीं था। 

औरत इस्लाम के बाद: Islam Me Aurat Ka Maqam in Hindi

जब अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने दुनिया में हो रहे ज़ुल्मो सितम को रोकने के लिए , ताजदारे मदीना अहमदे मुख्तार हज़रत मुहम्मद ﷺ को इस दुनिया में भेजा तो आप ﷺ की आमद से पूरी दुनिया में अनोखा इन्केलाब पैदा हुआ और लाचार मजबूर औरतों के भी दुःख दर्द वाले दिन दूर हो गए। हुज़ूर ﷺ के आने के बाद, दुनिया की तमाम औरतों की क़िस्मत का सितारा चमक उठा। 

इस्लाम की वजह से औरतों को उन ज़ालिम मर्दों की चंगुल से छुटकारा मिला और उनका मक़ाम और मर्तबा इतना ऊँचा हुआ कि इस्लाम के द्वारा ज़िंदगी और मौत के हर मोड़ पर उन्हें मर्दों की तरह सारे हुक़ूक़ दिए गए  

औरतों को उनके मालिकाना हुक़ूक़ मिले। औरतें अपनी मेहर की रक़म, अपने बिज़नेस और अपनी प्रॉपर्टीज की मालिक बन गयीं और उन्हें अपने माँ-बाप, भाई-बहन, औलाद, और शौहर की मीरास में हिस्सा भी मिला। 

वो औरतें जो कभी मर्दों की ज़ुल्म और हैवानियत का शिकार हुआ करती थीं, उन्हें पूरी तरह से उनके अधिकार मिले और उन्हें एक नयी ज़िंदगी मिली। अब किसी भी मर्द को ये अधिकार नहीं था की वो औरतों को घर से बाहर निकाल सके, मार पीट सके या उनके माल और प्रॉपर्टीज को उनसे छीन सके बल्कि हर मर्द को अपनी औरतों के हुक़ूक़ को पूरा करने का हुक्म भी दिया गया। जन्नती ज़ेवर – पेज 39-42 

इस्लाम में औरत का मक़ाम: Aurat ki Ahmiyat in Islam

इसके अलावा भी न जाने इस्लाम ने औरतों को कितने सरे हुक़ूक़ दिए हैं।  किसी दुसरे पोस्ट में उन सब के बारे में इन्शाहाल्लाह detail में बात करेंगे। 

अगर आपके भी मिलने जानने वाले लोग भी Google पर कुछ ऐसे सवाल लिख कर सर्च करते हैं जैसे कि –

Aurat kya hai in islam , या Aurat ki izzat in islam hindi, या फिर, Aurat aur islam in hindi , तो उन लोगों तक हमारा ये पोस्ट पहुंचाकर उनको भी इस्लाम की खूबसूरती के बारे में ज़रूर बताएं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *